राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के नए झंडे और प्रतीक चिन्ह का अनावरण किया, लंबित मामलों पर चिंता जताई

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*राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के नए झंडे और प्रतीक चिन्ह का अनावरण किया, लंबित मामलों पर चिंता जताई*

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता 

नई दिल्ली – राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को भारत मंडपम में आयोजित एक कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के नए झंडे और प्रतीक चिन्ह का अनावरण किया। इस अवसर पर उन्होंने न्यायपालिका के सामने लंबित मामलों की बढ़ती संख्या और इसके कारणों पर चिंता व्यक्त की।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि बलात्कार जैसे संवेदनशील मामलों में न्याय में अत्यधिक देरी होती है, जिससे आम लोगों को लगता है कि न्याय प्रक्रिया में 'संवेदनशीलता की कमी' है। उन्होंने न्यायालयों के बैकलॉग को एक बड़ी चुनौती मानते हुए विशेष रूप से यौन हिंसा के मामलों में त्वरित न्याय की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने कार्यक्रम में कहा, "जब बलात्कार जैसे मामलों में अदालत के फैसले एक पीढ़ी बीत जाने के बाद आते हैं, तो आम व्यक्ति को लगता है कि न्याय प्रक्रिया में संवेदनशीलता की कमी है।"

राष्ट्रपति मुर्मू ने जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में भी भाग लिया। उन्होंने न्यायपालिका को दिव्य स्थान मानने वाले गांवों की स्थिति पर विचार करते हुए कहा कि "भगवान के घर देर है अंधेर नहीं" का आदर्श विचार परंपरागत है, लेकिन इस देरी की मात्रा पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।

उन्होंने आगे कहा, "जब तक किसी को न्याय मिलेगा, उनकी मुस्कुराहट गायब हो चुकी होगी, उनका जीवन समाप्त हो चुका होगा। हमें इस पर गहराई से विचार करना चाहिए।"

यह टिप्पणी हाल ही में कोलकाता में 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले के संदर्भ में आई है। राष्ट्रपति मुर्मू के इस बयान के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी कार्यक्रम में मौजूद थे।

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