आज विश्व हिंदु परिषद का है स्थापना दिवस: हिंदू एकता का प्रतीक

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आज विश्व हिंदु परिषद का है स्थापना दिवस: हिंदू एकता का प्रतीक

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

मुंबई:विश्व हिंदु परिषद (विहिप) की स्थापना 1964 में हुई थी। इसके प्रमुख संस्थापकों में स्वामी चिन्मयानंद जी, एस. एस. आप्टे जी और मास्टर तारा सिंह जी शामिल थे। पहला सम्मेलन 21 मई 1964 को मुंबई के संदीपनी आश्रम में हुआ, जिसका आयोजन आर.एस.एस. के द्वितीय सरसंघचालक परमपूज्य सदाशिव गोलवरकर जी ने किया था।

उद्देश्य और लक्ष्य

विहिप का प्रमुख उद्देश्य भारत और विश्व के किसी भी देश में निवास करने वाले हिंदुओं को एकजुट करना है। इसका लक्ष्य हिंदू जीवन दर्शन, आध्यात्म की रक्षा, संवर्धन और प्रचार करना है। संगठन ने यह भी तय किया है कि यह गैर-राजनीतिक होगा और इसका कोई भी सदस्य या अधिकारी किसी भी राजनीतिक या सरकारी दायित्व में नहीं होगा।

संगठनात्मक संरचना

विहिप एक हिंदुत्व विचारधारा पर आधारित संगठन है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) का एक अनुषांगिक संगठन माना जाता है। इसका चिह्न बरगद का पेड़ है और इसका ध्येय वाक्य है "धर्मो रक्षति रक्षितः", जिसका अर्थ है कि जो धर्म की रक्षा करेगा, धर्म उसकी रक्षा करेगा।

वर्तमान में विहिप के 27 शाखाएं हैं, जिनमें मातृशक्ति, दुर्गावाहिनी और बजरंगदल जैसे महिलाओं और युवाओं के संगठन शामिल हैं। इन संगठनों का उद्देश्य समाज को सेवा, सुरक्षा और संस्कार के तहत संगठित करना है।

सदस्यता और प्रभाव

वर्तमान में विहिप के लगभग 8 करोड़ सदस्य पूरे भारत में हैं। यह संगठन हिंदू समाज को एकजुट करने और उसकी सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करने के लिए समर्पित है। इसके माध्यम से संगठन ने यह सुनिश्चित किया है कि भारत और विश्व के हर कोने में हिंदू समुदाय अपनी पहचान और संस्कृति को बनाए रख सके।

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