चाईबासा में आदिवासी संगठनों का व्यापक विरोध-कोल्हान में चक्का जाम

various

*चाईबासा में आदिवासी संगठनों का व्यापक विरोध: कोल्हान में चक्का जाम*

चाईबासा: भूमि अधिग्रहण, पेसा कानून लागू करने, शिक्षा व्यवस्था, तीतरबिला गांव में जिला प्रशासन द्वारा जबरन जमीन अधिग्रहण, मुआवजा राशि का भुगतान नहीं करने, 5वीं अनुसूची लागू करने, और आदिवासियों के धार्मिक व सांस्कृतिक स्थलों के साथ हुई छेड़छाड़ जैसे मुद्दों को लेकर विभिन्न आदिवासी सामाजिक संगठनों ने बुधवार को पूरे कोल्हान में चक्का जाम कर दिया।

संगठनों ने पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम जिले के कुछ क्षेत्रों और अन्य प्रखंडों के मुख्य सड़कों पर उतरकर सड़क जाम किया। उन्होंने टायर जलाकर और भारी वाहनों को सड़कों पर खड़ा करके जाम लगाया। चाईबासा शहर के बस स्टैंड, तांबो चौक जैसे प्रमुख स्थानों पर भी टायर जलाकर वाहनों की आवाजाही रोकी गई। ईचा खरकाई बांध विरोधी संगठन ने भी तांबो चौक पर विरोध प्रदर्शन किया।

इस बंद के कारण बस स्टैंड से एक भी बस का परिचालन नहीं हुआ, जिससे यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। बस स्टैंड की अधिकांश दुकानें भी बंद रहीं।

बंद समर्थक माधव चंद्र कुंकल ने कहा कि तीतरबिला गांव में जिला प्रशासन द्वारा जबरन जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आदिवासी समाज का विरोध है। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर आदिवासियों की जमीन हड़पना स्वीकार्य नहीं है। पेसा कानून को जल्द लागू करने की मांग की गई, जो 1996 में पारित हुआ था लेकिन अब तक लागू नहीं हुआ। यह कानून आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने 5वीं अनुसूची को प्रभावी रूप से लागू करने की भी मांग की, ताकि आदिवासियों की जमीन और जल-जंगल की रक्षा की जा सके।

संगठनों ने तीतरबिला गांव में ग्रामीणों के साथ हुए मारपीट के विरोध में भी यह बंद बुलाया था। बंद का उद्देश्य आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा और सरकारी नीतियों की समीक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करना है।

Related Post