पाकुड़ में आदिवासी समाज की स्थिति: "मांझी परगाना महासम्मेलन" का आयोजन

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पाकुड़ में आदिवासी समाज की स्थिति: "मांझी परगाना महासम्मेलन" का आयोजन

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

*पाकुड़, झारखंड* – संथाल हूल के समय से लेकर आज तक, पाकुड़ की वीर भूमि ने कई ऐतिहासिक घटनाओं को देखा है। अंग्रेजों ने स्थानीय संथाल विद्रोहियों के डर से पाकुड़ में मार्टिलो टावर का निर्माण करवाया था, जहाँ से अंग्रेज सैनिक विद्रोहियों पर गोलियाँ बरसाते थे। लेकिन आज, वही पाकुड़ का आदिवासी समाज अल्पसंख्यक बन चुका है। यह सब पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने अपने एक्स पोस्ट पर साझा किया है।

उन्होंने कहा कि स्थानीय वोटर लिस्ट के आंकड़ों के अनुसार, बांग्लादेशी घुसपैठियों ने आदिवासी समुदाय को उनकी भूमि से बेदखल करने में सफलता हासिल की है। जिकरहट्टी स्थित संथाली टोला और मालपहाड़िया गाँव में अब आदिम जनजातियों के कोई सदस्य नहीं बचे हैं। सवाल उठता है कि भूमिपुत्र कहाँ गए? उनकी जमीनों और घरों पर अब किसका कब्जा है?

इन मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए आगामी *16 सितंबर* को आदिवासी समाज द्वारा पाकुड़ जिले के हिरणपुर प्रखंड में "मांझी परगाना महासम्मेलन" का आयोजन किया गया है। इस सम्मेलन में समाज के पारंपरिक ग्राम प्रधानों और अन्य मार्गदर्शकों के साथ मिलकर समस्याओं का समाधान खोजने का प्रयास किया जाएगा।

इस दिन, बाबा तिलका मांझी और वीर सिदो-कान्हू के संघर्ष से प्रेरणा लेकर, आदिवासी समाज अपने अस्तित्व और माताओं, बहनों एवं बेटियों की अस्मत की रक्षा के लिए एक सामाजिक जन-आंदोलन की शुरुआत करेगा।

यदि आप पाकुड़ या उसके आसपास रहते हैं, तो इस बदलाव का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित हैं। यह आंदोलन स्थानीय लोगों को अपने अधिकारों और पहचान के लिए संगठित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

*जय आदिवासी! जय झारखंड!*

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