गांव की कुल्ही से निकल विश्व के पटल पर छाया विश्वदीप

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गांव की कुल्ही से निकल विश्व के पटल पर छाया विश्वदीप

1 अगस्त को तंजानिया के भारतीय राजदूत के रूप में लेंगे शपथ

 

बेरमो, बोकारो

 

गांव की कुल्ही से निकलकर विश्वदीप आज पूरे विश्व के पटल पर छाया हुआ है. विश्वदीप आगामी 1 अगस्त को तेजानिया में बतौर भारतीय राजदूत पद का चार्ज लेंगे. इसको लेकर आज भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने विश्वदीप को क्रेडेंशियल लेटर (प्रमाण पत्र) प्रदान किया. मालूम हो कि ऐसे आइए्रफएस अधिकारी जिनका कार्यकाल 20 साल से ज्यादा हो चुका तो तथा वे काफी अनुभवी रहे हो वैसे अधिकारी को भारतीय राजदूत बनाकर भेजा जाता है. विश्वदीप पिछले 12 साल से अन्य देशों में बतौर राजदूर व डिप्टी एंबेसंडर रह चुके है.फिलहाल वे भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर, मुंबई में भारत के प्रतिनिधि के रुप में कार्यरत है.तीन साल का कार्यकाल यहां उनका पूरा हो गया है.अब वे तंजानिया में भारतीय राजदूत का पदभार संभालेंगे. इसको लेकर भारत के राष्ट्रपति ने तंजानिया के राष्ट्रपति को पत्र लिखा है.1 अगस्त को विश्वदीप तंजानिया एंबेंसी पहुंचकर बतौर भारतीय राजदूत का चार्ज लेंगे इसके बाद उन्हें विधिवत रुप से गार्ड ऑफ ऑनर के साथ भारतीय राजदूत की शपथ दिलाई जायेगी.

 

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जाने बेरमो के विश्वदीप को

 

विश्वदीप नावाडीह के उग्रवाद प्रभावित ऊपरघाट के गोनियाटो निवासी एवं तेनुघाट व्यवहार न्यायालय के वरीष्ठ अधिवक्ता एसएन डे उर्फ मंटू बाबू के पुत्र है. 13 जुलाई 1976 को जब विश्वदीप का जन्म गिरिडीह में हुआ था उस वक्त उनके पिता एसएन डे गिरिडीह कोर्ट में वकालत के क्षेत्र में संघर्ष कर रहे थे. उनके पुत्र विश्वदीप ने दो साल गिरिडीह के ही कार्मल स्कूल में प्राइमरी पढाई की. वर्ष 1982 में गिरिडीह कोर्ट से अलग होकर तेनुघाट कोर्ट जब अस्तित्व में आया तब एसएन डे भी वर्ष 1981 के सितंबर माह में परिवार के साथ तेनुघाट कोर्ट आ गये और यहीं वकालत करने लगे. बोकारो थर्मल स्थित संत पॉल मार्डन स्कूल में विश्वदीप ने दो साल तक पढाई की. इसके बाद पिता एसएनडे ने वर्ष 1984 में विश्वदीप को हिमाचल प्रदेश के दलहौजी बोडिंग में डाल दिया. यहां से विश्वदीप ने दसवीं तक की पढाई पूरी की.इसके बाद 11 व 12 तक की पढाई विश्वदीप ने बेरमो के गोमिया स्थित पिटस मार्डन स्कूल से पूरी की. यहां से फिर वे बीएचयू आगे की पढाई करने चले गये तथा यहां से राजनीतिक विज्ञान आनर्स में ग्रेजुएशन किया. इसमें वे यूनिर्वसिटी टॉपर रहे. इसके बाद वे दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ की पढाई पूरी की. यहां भी एलएलबी में वे विश्वविद्यालय टॉपर रहे. इसके बाद मास्टर ऑफ लॉ भी इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से ही किया तथा इंटरेस परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया. जिसके कारण उन्हें दिल्ली यूनिर्वसिटी में बड़ा हॉस्टल (जुबली हॉल) मिल गया. मास्टर ऑफ लॉ करने के दौरान ही विश्वदीप ने यूपीएससी की तैयारी शुरु कर दी तथा परीक्षा में बैठे. जिसमें पहली बार में ही बेहतर रैंक से उनका सलेक्शन होने के कारण इन्हें इंडियन फोरेन सर्विस (भारतीय विदेश सेवा) मिल गया. विश्वदीप की पहली पोस्टिंग अरबी भाषा पढने के लिए इजीप्ट में हुई जहां उन्होंने दो साल तक अरबी भाषा की पढाई पूरी की. इसमें भी उनका रिजल्ट बेहतर रहा. इसके बाद इन्हें रियाद (मक्का-मदीना) पोस्टिंग की गई जहां वे तीन साल तक एचओसी (हेड ऑफ चांसलरी) पद पर रहे. इसके बाद इन्हें फिलिस्तन का राजदूत बनाया गया जहां उन्होंने राजदुत के रुप में भारत का प्रतिनिधित्व किया. यहां वे चार साल तक फिलिस्तीनी मिशन के हेड रहे. इसके बाद दो साल तक दिल्ली में रहे. फिर यहां से उन्हें भुटान में डिप्टी चीफ ऑफ मिशन (डिप्टी एंबेसडर) बनाकर भेजा गया जहां वे दो वर्ष तक पदस्थापित रहे.इसके बाद विश्वदीप दक्षिण अमेरिकी कैरेबियन कंट्री गणराज्य त्रिनिदाद एवं टौबेगो में भारतीय राजदूत के पद पर रहे. इसके अलावा वे बांग्लादेश में भी तीन साल तक डिप्टी एंबेंसडर रहें.

 

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कई देशों में भारत के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति की अगुवाई का मौका मिला

विश्वदीप के विदेशी सेवा व विदेश में भारतीय राजदुत के रुप में प्रतिनिधित्व करते हुए कई बार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की अगुवाई करने का मौका मिला. कई देशों के साथ प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के साथ वार्ता व संधी में भी विश्वदीप ने अपनी अहम भूमिका अदा की. खासकर कुछ साल पहले कजकिस्तान, फिजी, इंडोनेशिया में पीएम व राष्ट्रपति के दौरे की अगुवाई विश्वदीप ने ही किया था. जब लिबिया में संघर्ष चल रहा था उस वक्त अपनी जान हथेली पर रखकर विश्वदीप ने लिबिया में फंसे करीब 16 सौ भारतीय को सुरक्षित निकालकर भारत लाने का काम किया था.

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कोलंबिया यूनिर्वसिटी से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन कर रहा है आर्यमन डे

विश्वदीप डे के पुत्र आर्यमन डे ने 12वीं तक की पढाई पुणा से पूरी की. फिलहाल वे अमेरिका के कोलंबिया यूनिर्वसिटी से इकोनॉनिक्स में ग्रेजुएशन कर रहे है.मालूम हो कि कोलंबिया यूनिर्वसिटी से ही डॉ भीम राव अंबेडकर ने पढाई की थी.

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क्या कहते है विश्वदीप के पिता

तेनुघाट व्यवहार न्यायालय के वरीष्ठ अधिवक्ता एसएन डे उर्फ मंटू बाबू कहते है कि जब विश्वदीप की उम्र मात्र आठ साल थी उसी समय उनकी माता का निधन हो गया. मैंने काफी गरीब व संघर्षो को झेलते हुए विश्वदीप की पढाई में कोई कसर नही छोडी. विश्वदीप अबतक जहां ही एंबेंसडर व डिप्टी एंबेंसडर रहें उन्होंने सफलता पूर्वक अपना दायित्वों का निर्वहण किया

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