सुप्रीम कोर्ट का फैसला-नए वकीलों के एनरोलमेंट फीस में राहत

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सुप्रीम कोर्ट का फैसला: नए वकीलों के एनरोलमेंट फीस में राहत

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने 30 जुलाई, 2024 को नए वकीलों के एनरोलमेंट फीस को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसने समस्त अवरोधों को समाप्त कर दिया है। इस फैसले के तहत, राज्य बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) सामान्य श्रेणी के वकीलों से ₹750 और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के वकीलों से ₹125 से अधिक एनरोलमेंट फीस नहीं ले सकते हैं।

संविधान का उल्लंघन

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एडवोकेट्स एक्ट की धारा 24(1)(f) के तहत निर्धारित फीस से अधिक वसूलना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) (व्यवसाय करने का अधिकार) और अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यह निर्णय न केवल नए वकीलों के लिए, बल्कि न्यायिक प्रणाली में समावेशिता को भी बढ़ावा देगा।

राज्यों में वसूली गई अधिक फीस

फैसले से पहले, कई राज्यों में बार काउंसिल द्वारा वसूली जा रही फीस ₹15,000 से ₹45,000 तक थी, जो कि नए वकीलों के लिए एक बड़ी बाधा बन रही थी। इस उच्च फीस ने विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के वकीलों के लिए वकालत के पेशे में प्रवेश करना मुश्किल बना दिया था।

भविष्य के लिए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि फीस में वृद्धि की आवश्यकता है, तो यह संसद द्वारा तय की जानी चाहिए, न कि अदालत द्वारा। इस निर्णय का प्रभाव भविष्य के लिए होगा और पिछले वर्षों में वसूली गई अतिरिक्त फीस की वापसी की आवश्यकता नहीं होगी।

प्रभाव

इस फैसले से नए वकीलों को विशेष रूप से उन लोगों को राहत मिलेगी जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से आते हैं। अब उन्हें अधिक फीस का भुगतान नहीं करना पड़ेगा, जिससे वकालत का पेशा उनके लिए अधिक सुलभ हो जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी वकील, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो, न्यायिक प्रणाली में प्रवेश कर सकें और अपने पेशेवर अधिकारों का उपयोग कर सकें। यह फैसला न केवल नए वकीलों के लिए, बल्कि समस्त न्यायिक प्रणाली के लिए एक सकारात्मक कदम है।

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