झारखंड का एक गांव, जहां बेटे-बेटी की शादी करने से कतराते हैं लोग

various

झारखंड का एक गांव, जहां बेटे-बेटी की शादी करने से कतराते हैं लोग

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
रामगढ़: विकास के दावे-वादों के बीच झुमरा पहाड़ की तलहटी में बसी रौता बस्ती आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही है. रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड का ये इलाका विकास को मुंह चिढ़ा रहा है. सड़क की जर्जर हालत देखते ही आप यहां की जमीनी हकीकत समझ जाएंगे. यही वजह है कि शादी-विवाह को लेकर इस गांव में एक बार पहुंचे लोग दोबारा आने से परहेज करते हैं.    

रौता बस्ती में घरों की संख्या करीब एक सौ से अधिक है. यहां की आबादी लगभग छह सौ है. एक दशक से यहां की सड़क जर्जर है, लेकिन उसकी मरम्मत नहीं करायी गयी. लिहाजा लोग इसी सड़क से आवागमन करने पर मजबूर हैं. इस बस्ती में जाने के लिए दो रास्ते हैं. एक तरफ से पांच किलोमीटर जर्जर सड़क से लोग बस्ती में पहुंचते हैं, वहीं दूसरी ओर तापीन से सात किलोमीटर जर्जर सड़क से लोग आवागमन करते हैं. इस कारण कई लोग अब तक सड़क हादसे के शिकार हो चुके हैं. सबसे अहम तो ये शादी-विवाह में ये सड़क रोड़ा बनी हुई है. किसी तरह एक बार आ जाने के बाद कोई रिश्तेदार दोबारा यहां नहीं आना चाहते. अपनी बेटी भी ब्याहना नहीं चाहते.

इस बस्ती की सड़क पर बड़े-बड़े पत्थर हैं. सड़क की हालत बद से बदतर हो गयी है. इस मार्ग से बड़े वाहनों का आना-जाना बंद रहता है. बस्ती के लोग मोटरसाइकिल और पैदल चलकर मुख्य मार्ग पहुंचते हैं. इसके बाद ही सवारी गाड़ी से रामगढ़ और हजारीबाग का सफर करते हैं. मरीजों को अस्पताल ले जाने में भी काफी परेशानी होती है. इस कारण यहां के लोग बेहद परेशान रहते हैं.

बस्ती की अनीता देवी, सुजाता देवी, पासो देवी, सुमती देवी, रेशमी देवी, उमेश महतो, सुरेंद्र महतो, जीतलाल महतो, हेमलाल महतो, अमन महतो, चुरामण महतो, महावीर महतो, पप्पू महतो, गिरधारी महतो और वीरेंद्र समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि तरक्की का पहिया बस्ती तक नहीं पहुंच सकी है.

सड़क की बदहाली के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. यहां के बच्चों को परेज व तापीन जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. डॉक्टर भी यहां आने से परहेज करते हैं. मरीजों को चारपाई (खटिया) पर रखकर परेज व तापीन मार्ग से ले जाया जाता है. इसके बाद एंबुलेंस से उन्हें अस्पताल पहुंचाया जाता है.

ग्रामीणों ने दर्द बयां करते हुए कहा कि अब तक कई गर्भवती महिलाओं की समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने के कारण मौत हो चुकी है. शादी-विवाह में भी परेशानी होती है. जल्दी कोई रौता बस्ती नहीं आना चाहता. वे रिश्तेदारी करने से भी परहेज करते हैं. बस्ती में सिर्फ उत्क्रमित मध्य विद्यालय है. वर्ग एक से आठ तक के बच्चे यहां पढ़ाई करते हैं. पानी की भी काफी दिक्कत है. इनका आरोप है कि विधायक और सांसद से शिकायत के बाद भी इस दिशा में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.

Related Post