Karma Puja 2024: डीएसपीएमयू में करम पूजा का उल्लास, लोकपाल प्रोफेसर अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने बतायी करम डाली की पूजा की वजह

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Karma Puja 2024: डीएसपीएमयू में करम पूजा का उल्लास, लोकपाल प्रोफेसर अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने बतायी करम डाली की पूजा की वजह

Karma Puja 2024: रांची-राजधानी रांची के डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (डीएसपीएमयू) में धूमधाम से करम पर्व मनाया गया. मांदर की थाप पर लोग जमकर झूमे. नृत्य-गीत से करम पूजा का उल्लास देखते ही बन रहा था. डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के लोकपाल प्रो (डॉ) अंजली कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि करम पर्व में जिस पेड़ की डाली की पूजा की जाती है, उसके अपने प्राकृतिक गुण हैं. यह पेड़ ज्यादा ऑक्सीजन देता है. इससे प्रकृति और जीव-जंतु के बीच संतुलन बना रहता है. यह आदिवासी समाज की अनमोल खोज है. उन्होंने अखड़ा परिसर के चारों ओर शेड लगाने की बात कही.

धर्म के साथ कर्म की भी है आवश्यकता
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो (डॉ) तपन कुमार शांडिल्य ने करम के अर्थ को समझाते हुए कहा कि धर्म के साथ कर्म की भी आवश्यकता है. झारखंडी समाज प्रकृति में अपने देवत्व स्थापित कर इसको पूजने की परंपरा अटूट एवं संपूर्ण जीवजगत के लिए हितकर है. इसमें भाई-बहन के स्नेह-प्रेम के साथ संपूर्ण मानव को एक सूत्र में बांधने का कार्य करम पर्व का मूल उद्देश्य है. पूर्व कुलपति प्रो (डॉ) सत्यनारायण मुंडा ने करम पर्व के महत्व को बताते हुए कहा कि हमें पेड़-पौधों के साथ संबंध बनाए रखना चाहिए. इस पर और अधिक गहन शोध करने की आवश्यकता है क्योंकि इन पेड़-पौधों पर हम सभी किसी न किसी रूप में आश्रित रहते हैं.

ऐसे हुई करम डाली की पूजा
इसके पूर्व विश्वविद्यालय परिसर में स्थित अखड़ा में विभिन्न विभाग द्वारा उठाये हुए जाउआ को नृत्य-गीत के साथ विधिवत लाया गया. फिर पाहन के साथ नृत्य-गीत करते हुए करम डाली के लिए करम पेड़ के पास गए. इसके बाद वहां करम डाली को विधिवत काटकर लाया गया और पाहन प्रो महेश भगत ने इसे अखड़ा में स्थापित किया. करम डाली की पूजा प्रो महेश भगत एवं डॉ जुरन सिंग मानकी द्वारा संपन्न कराया गया. इस अवसर पर उपवास की हुईं लड़कियां करम डाली की चारों ओर बैठी हुई थीं, जिन्होंने करम डाली की पूजा की. करम पूजा की कथा सरन उरांव ने सुनायी.

करम परब पर अतिथियों का सम्मान
कार्यक्रम में आगंतुक अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान विभाग के शिक्षकों द्वारा अंगवस्त्र देकर किया गया एवं छात्र-छात्राओं द्वारा स्वागत गीत के रूप अतिथियों का स्वागत किया. करम महोत्सव के अवसर पर उपस्थित सभी अतिथियों, विशिष्ट अतिथियों एवं आगंतुकों का स्वागत जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के को-ऑर्डिनेटर डॉ विनोद कुमार ने किया. उन्होंने विश्वविद्यालय प्रसासन से इन सभी विभागों के लिए पद सृजन करने का आग्रह किया.

पद्मश्री मधु मंसुरी हंसमुख ने पेश किए गीत
पद्मश्री मधु मंसुरी हंसमुख ने अपने सुरों से अखड़ा में नृत्य-संगीत का शुभारंभ किया. फिर विभिन्न विभागों द्वारा सामूहिक नृत्य-गीत प्रस्तुत किया गया. इसके बाद विभिन्न 9 विभागों के नृत्यों दलों द्वारा नृत्य-गीत प्रस्तुत किया गया. फिर सम्मान के साथ करम डाली एवं जावा का विसर्जन छात्र-छात्राओं द्वारा किया गया.
 
मौके पर ये थे उपस्थित
सामाजिक विज्ञान के संकायाध्यक्ष डॉ सर्वोत्तम कुमार, हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ जिंदर सिंह मुंडा, टीआरआई के पूर्व निदेशक सोमा सिंह मुंडा, आईटी विभाग के शिक्षक डॉ राहुल देव सिंह, बीएड के डॉ अरविंद कुमार मोर्या, डॉ पारितोष मांझी, नागपुरी विभाग के डॉ मालती वागिषा लकड़ा, डॉ मनोज कच्छप, कुड़माली के डॉ निताई चंद्र महतो, कुड़ुख की डॉ सीता कुमारी, सुनीता कुमारी, संताली की डॉ डुमनी माई मुर्मू, खड़िया की शांति केरकेट्टा, मुंडारी की डॉ शांति नाग, डॉ दशमी ओड़ेया, पंचपरगनिया के लक्ष्मीकांत प्रमाणिक, खोरठा से सुशीला कुमारी, सभी विभाग के शोधार्थीगण, छात्र-छात्राएं, विश्वविद्यालय के कई शिक्षक एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे. मंच संचालन का कार्य हो विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ जय मंगल किशोर एवं धन्यवाद ज्ञापन कुड़ुख विभाग विभागाध्यक्ष प्रो रामदास उरांव ने किया.

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