झारखंड आदिवासी महोत्सव: रांची में उतरा मिनी भारत, पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख और ज्योति साहू के गीतों पर झूमे दर्शक

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झारखंड आदिवासी महोत्सव: रांची में उतरा मिनी भारत, पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख और ज्योति साहू के गीतों पर झूमे दर्शक

रांची-झारखंड आदिवासी महोत्सव-2024 के दूसरे दिन शनिवार को देशभर के कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी. नृत्य-गीत के जरिए कलाकारों ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया. दो दिवसीय महोत्सव के समापन समारोह में नृत्य, गीत और झांकी के जरिए कलाकारों ने समां बांध दिया. पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख, ज्योति साहू, विवेक नायक समेत अन्य कलाकारों की जीवंत प्रस्तुति पर दर्शक झूम उठे.

झारखंड आदिवासी महोत्सव-2024 पर समृद्ध आदिवासी जीवन दर्शन की झलकियां रांची के बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में दिख रही हैं. इस भव्य समारोह में पद्मश्री मधु मंसूरी की शानदार प्रस्तुति पर लोग झूम उठे. झारखंड आंदोलन के लिए कई नागपुरी गीत लिखने और गाने वाले पद्मश्री मधु मंसूरी 'हंसमुख' का जन्म 4 सितंबर 1948 को रांची के सिमिलिया में हुआ. 1960 यानी 12 वर्ष उम्र में उन्होंने अपना पहला गाना गाया. उनके गायन और लेखन की प्रतिभा को देखकर इन्हें कई उपाधियों से नवाजा गया है. उनकी कई उत्कृष्ट रचनाओं की अनुपम श्रृंखला में नागपुर कर कोरा व गांव छोड़ब नहीं, जंगल छोड़ब नहीं उल्लेखनीय है.

द सजनीग्रुप नागपुरी बैंड द्वारा आधुनिक नागपुरी और कुड़ुख गीत की प्रस्तुति दी गयी. गायक विवेक नायक ने दिलकश आवाज से दर्शकों का मनोरंजन किया. झारखंड की बेटी ज्योति साहू की शानदार प्रस्तुति लोगों को लुभा रही है. पार्श्व गायिका ज्योति साहू ने 7 साल की छोटी सी उम्र में ही अपनी संगीत यात्रा की शुरुआत की थी. इनका पहला नागपुरी एल्बम सोने कर पिंजरा 1995 में रिलीज हुआ था. हिंदी, भोजपुरी, नागपुरी, संताली, खोरठा, कुड़ुख आदि भाषाओं में लगभग 4,000 ऑडियो-वीडियो एल्बम में उन्होंने अपनी आवाज दी है. झारखंड में बनने वाली छोटे-बड़े स्तर की लगभग 40 से भी ज्यादा फिल्मों में इन्होंने अपनी आवाज दी है, जिसमें हालिया रिलीज जामताड़ा पार्ट-2 भी शामिल है. प्रथम झारखंड अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव JIFFA में झारखंड की 'सर्वश्रेष्ठ महिला गायिका' के खिताब से भी सम्मानित हो चुकी हैं.

महाराष्ट्र के ट्राइबल कलाकारों ने कार्यक्रम की शुरुआत में बांसुरी की धुन से दर्शकों को मोहित किया. कलाकारों द्वारा महाराष्ट्र का आदिवासी पारंपरिक नृत्य खापरी पेश किया गया. असम से आए ट्राइबल कलाकारों द्वारा कार्बी नृत्य की प्रस्तुति दी गयी. असम के पारंपरिक परिधान, वाद्ययंत्र, अद्भुत संस्कृति, परंपरा, एवं इतिहास का अनूठा संगम दिखा. राजस्थान से आए कलाकारों द्वारा होली ढोल नृत्य की प्रस्तुति दी गयी.

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