राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर संबोधन

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर संबोधन

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

*नई दिल्ली*: स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों को संबोधित करते हुए 78वें स्वतंत्रता दिवस के उत्सव की तैयारी पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि तिरंगे को लहराते हुए देखना, चाहे वह लाल किले पर हो या राज्यों की राजधानियों में, हमारे हृदय को उत्साह से भर देता है।

भारत की अर्थव्यवस्था

राष्ट्रपति मुर्मू ने भारत की आर्थिक स्थिति पर जोर देते हुए कहा, "भारत 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, और हम शीघ्र ही विश्व की तीन शीर्षस्थ अर्थ-व्यवस्थाओं में स्थान प्राप्त करने के लिए तैयार हैं।" उन्होंने इस सफलता का श्रेय किसानों और श्रमिकों को दिया और कहा कि यह उनकी अथक मेहनत, नीति-निर्माताओं की दूरगामी सोच और देश के दूरदर्शी नेतृत्व के बल पर संभव हो सका है।

किसानों का योगदान

किसानों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, "हमारे अन्नदाता किसानों ने उम्मीदों से बेहतर कृषि उत्पादन सुनिश्चित किया है। ऐसा करके, उन्होंने भारत को कृषि-क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और हमारे देशवासियों को भोजन उपलब्ध कराने में अमूल्य योगदान दिया है।"

महिलाओं का सशक्तिकरण

महिलाओं के सशक्तिकरण पर भी राष्ट्रपति ने प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "महिलाओं को केंद्र में रखते हुए सरकार द्वारा अनेक विशेष योजनाएं लागू की गई हैं। नारी शक्ति वंदन अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं का वास्तविक सशक्तीकरण सुनिश्चित करना है।"

युवाओं के लिए रोजगार के अवसर

राष्ट्रपति ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा, "रोजगार और कौशल के लिए प्रधानमंत्री की पांच योजनाओं के माध्यम से पांच वर्षों में चार करोड़ दस लाख युवाओं को लाभ मिलेगा। सरकार की एक नई पहल से पांच वर्षों में एक करोड़ युवा अग्रणी कंपनियों में इंटर्नशिप करेंगे। ये सभी कदम, विकसित भारत के निर्माण में आधारभूत योगदान देंगे।"

नई भारतीय न्याय संहिता

अंत में, राष्ट्रपति मुर्मू ने तीन नए कानूनों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, "इस वर्ष जुलाई से भारतीय न्याय संहिता को लागू करने में, हमने औपनिवेशिक युग के एक और अवशेष को हटा दिया है। नई संहिता का उद्देश्य केवल दंड देने की बजाय, अपराध-पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करना है। मैं इस बदलाव को स्वाधीनता सेनानियों के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में देखती हूं।"

राष्ट्रपति का यह संबोधन देशवासियों के लिए प्रेरणादायक और उत्साहवर्धक था, जिसमें उन्होंने भारत की प्रगति और विकास की दिशा में उठाए गए कदमों की सराहना की।

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