तमाड़ में आदिवासी संगठनों का महाजुटान, दिउड़ी मंदिर की जमीन बचाने का लिया संकल्प

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तमाड़ में आदिवासी संगठनों का महाजुटान, दिउड़ी मंदिर की जमीन बचाने का लिया संकल्प

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता   
तमाड़-दिउड़ी मंदिर को लेकर बुधवार को आदिवासी संगठनों की बैठक दिउड़ी फुटबॉल मैदान में हुई. इसमें मंदिर की जमीन को बचाने का संकल्प लिया गया. इसके साथ ही 29 सितंबर को टांग-टांग मैदान में आदिवासी जनाक्रोश महारैली का आयोजन करने का निर्णय लिया गया.

धर्मगुरु बंधन तिग्गा, देव कुमार धान, प्रेमशाही मुंडा और लक्ष्मीनारायण सिंह मुंडा ने आदिवासी संगठनों की बैठक को संबोधित किया. धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि दिउड़ी मंदिर की जमीन को बचाने की जरूरत है. इसके लिए हमें एकजुटता दिखानी होगी.

बैठक में 29 सितंबर को टांग-टांग मैदान में आदिवासी जनाक्रोश महारैली का आयोजन करने का निर्णय लिया गया. रैली को सफल बनाने के लिए 32 जनजाति के अगुवा एवं झारखंड के आदिवासी समाज के धार्मिक और सांस्कृतिक अगुवा शामिल होंगे. बैठक में देवरी दीरी आदिवासी जमीन बचाओ अभियान समिति का गठन किया गया. इसमें सभी संयोजक रहेंगे.

लक्ष्मीनारायण मुंडा ने दिउड़ी मंदिर में बनाए गए ट्रस्ट, मंदिर की जमीन का फर्जी तरीके से हस्तांतरण और स्थानीय आदिवासियों को हाशिए पर रखने को लेकर सवाल उठाए.


मौके पर सुरेश सोय, एलेन उरांव, दिनकर कश्यप, कुंदर्शी मुंडा, सेलिना लकड़ा, पंचानंद सिंह मुंडा, सिदाम सिंह मुंडा, सोबरन मुंडा सहित बड़ी संख्या में आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए.

रांची जिले के तमाड़ में रांची-टाटा राजमार्ग (एनएच-33) के किनारे प्रसिद्ध दिउड़ी माता का मंदिर है. यहां रांची ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड और देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. मां दुर्गा की 16 भुजाओंवाली प्रतिमा यहां स्थापित है. मां की प्रतिमा साढ़े तीन फीट ऊंची है. ओडिशा की मूर्ति कला पर आधारित है. मां को ‘सोलहभुजी देवी’ के नाम से भी जानते हैं.

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