गुवा गोलीकांड उस आंदोलन की याद दिलाता है जो जल, जंगल, जमीन को बचाने हेतु किया था

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गुवा गोलीकांड उस आंदोलन की याद दिलाता है जो जल, जंगल, जमीन को बचाने हेतु किया था 

आंदोलनकारियो का मेहनत रंग लाया एवं झारखंड-बिहार राज्य से अलग हो एक नया झारखंड राज्य के रूप में परिवर्तित हुआ  -मुंडा विक्रम चॉपिया
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

गुवा।गुवा गोली कांड  में शहीद हुए शहीदों को श्रद्धांजलि देने एवं योजनाओं व कार्यक्रमों उद्घाटन  सह  शिलान्यास के साथ  साथ परिसंपत्ति वितरण के लिए झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गुवा क्षेत्र में आने को ले बोकना गाँव के ग्रामीणो ने एक बैठक के तहत  हर्ष व्यक्त किया । 
    बैठक की अध्यक्षता कर रहे बोकना  गांव के मुंडा विक्रम चापिया 
ने कहा कि पूर्व में मुख्यमंत्री के द्वारा आदिवासियों के  उत्थान हेतु उनकी समस्याओं का हल करना एवं समाज में उन्हें आगे ले जाने हेतु किया गया कारगर प्रयास सदैव सराहनीय एव यादगार रहेगा ।  ।झारखंड सरकार  मानकी एवं मुंडा को अपने राज्य विकास का हिस्सा मानती है तो उनके द्वारा पंचायत स्तर के विभिन्न मानकी -मुंडा को इस बार के कार्यक्रम मे सम्मानित किया जाना चाहिए । सिर्फ चाईबासा क्षेत्र के मानकी एवं मुंडा को पिछले वर्ष 2023 में सम्मानित किया जाना इस बात का संकेत है कि  झारखण्ड सरकार  पिछड़े एवं सुदूर सारंडा के वन क्षेत्र में रहने व निरंतर  क्षेत्र के विकास के लिए कार्यरत मानकी  मुंडा को उपेक्षा का पात्र
समझती  है । उक्त तथ्यो से संवेदित   बोकना  गांव के मुंडा विक्रम चांपिया ने कहा कि गुवा गोलीकांड उस आंदोलन की याद दिलाता है जो जल, जंगल, जमीन को बचाने हेतु  किया गया था ।गुवा का गोलीकांड झारखंड अलग राज्य अर्थात झारखंड आंदोलन, वनों पर वनवासियों का अधिकार व गुवा खदान से निकलने वाली लाल पानी से प्रभावित व बंजर हो रही खेतों को नुकसान पहुंचाने से रोकने आदि मांगों से जुड़ी हुई है।  गुवा गोलीकांड में दर्जनों आदिवासी आंदोलनकारी शहीद और दर्जनों घायल हुये थे ।उल्लेखनीय है कि वर्ष 1980 के दशक में झारखंड आंदोलन के नाम पर राज्य के अन्य जिलों से आए ग्रामीणों द्वारा भारी पैमाने पर सारंडा के जंगलों की कटाई कर मैदान बना, उस वन भूमि पर कब्जा करने का कार्य चल रहा था । इसके खिलाफ गुवा वन विभाग ने कार्रवाई करते हुये इस अभियान में शामिल लोगों समेत कुछ निर्दोषों को भी पकड़ कर जेल भेजना प्रारंभ कर दिया गया था।हालांकि उस समय झारखंड अलग राज्य को लेकर पूरे राज्य में व्यापक आंदोलन चल रहा था ।उसी समय यह कार्य भी सारंडा में झारखंड आंदोलन के नाम पर जारी था ।इसके खिलाफ वन विभाग की कार्रवाई ने आग में घी डाल दी। परिणाम स्वरूप गुवा गोली काण्ड 8 सितम्बर 1980 को  घटी थी एवं यह झारखंड राज्यके निर्माण का टर्निंग पॉइंट था ।परिणाम स्वरूप आंदोलनकारियों का मेहनत रंग लाया एवं झारखंड-बिहार राज्य से अलग हो एक नया झारखंड राज्य के रूप में परिवर्तित हुआ ।
   आयोजित उक्त बैठक में   बोकना गांव के ग्रामीणों में मुख्य रूप से ब्रज किशोर मिश्रा,कृष्ण चांपिया, संतोष चाँपिय, मन्ना पूर्ति मंगरु पूर्ति, साव पूर्ति, दौंगों चॉपिया, सरस्वती चांपिया, बुधराम टोपनो, नागी चॉपिमा, व अन्य दर्जनों शामिल दिखे ।

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