रक्षाबंधन क्‍यों मनाते हैं, जानें इससे जुड़ी ये प्रचलित कथाएं

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रक्षाबंधन क्‍यों मनाते हैं, जानें इससे जुड़ी ये प्रचलित कथाएं

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
नई दिल्ली:रक्षाबंधन भाई और बहन की पवित्र रिश्‍ते का प्रतीक है। इस दिन बहनें भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनकी दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं। भाई इस दिन अपनी बहनों को प्‍यारे-प्‍यारे उपहार देते हैं और उनकी रक्षा करने का वचन लेते हैं। रक्षाबंधन को मनाने की शुरुआत कैसे हुई, इसको लेकर पौराणिक मान्‍यताएं प्रचलित हैं। आइए जानते हैं रक्षाबंधन का इतिहास और इससे जुड़ी कहानियां।

रक्षा बंधन की कहानियां 
रक्षाबंधन क्‍यों मनाते हैं इसको लेकर बहुत सी पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं। रक्षाबंधन की शुरुआत कब और कैसे हुई इसको लेकर कई सारी कहानियां बताई गई हैं। आज हम आपको बता रहे हैं रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक क‍थाएं। कहीं बताया गया है कि रक्षाबंधन का आरंभ सतयुग में हुआ था तो कहीं बताया गया है कि रक्षाबंधन का आरंभ माता लक्ष्‍मी और महाराजा बलि ने किया था। आइए जानते हैं रक्षाबंधन से जुड़ी प्रचलित कथाएं।

रक्षाबंधन का संबंध श्रवण कुमार से
हर साल सावन मास की पूर्णिमा को मनाए जाने वाले इस त्‍योहार को लेकर कई मान्‍यताएं हैं। कहीं-कहीं इसे गुरु-शिष्‍य परंपरा का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि यह त्‍योहार महाराज दशरथ के हाथों श्रवण कुमार की मृत्‍यु से भी जुड़ा है। इसलिए मानते हैं कि यह रक्षासूत्र सबसे पहले गणेशजी को अर्पित करना चाहिए और फिर श्रवण कुमार के नाम से एक राखी अलग निकाल देनी चाहिए। जिसे आप प्राणदायक वृक्षों को भी बांध सकते हैं।

रक्षाबंधन का संबंध कृष्‍ण द्रौपदी से
महाभारत की कथा भी जुड़ी हुई है। युद्ध में पांडवों की जीत को सुनिश्चित करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने युद्धिष्ठिर को सेना की रक्षा के लिए राखी का त्योहार मनाने का सुझाव दिया था। वहीं अभिमन्‍यु युद्ध में विजयी हों, इसके लिए उनकी दादी माता कुंती ने भी उनके हाथ पर रक्षा सूत्र बांधकर भेजा था। वहीं द्रौपदी ने भी उनकी लाज बचाने वाले अपने सखा और भाई कृष्‍णजी को भी राखी बांधी थी। इस दिन सावन के महीने की पूर्णिमा तिथि थी।

रक्षाबंधन का संबंध इंद्र से
पौराणिक कथाओं में पति-पत्‍नी के बीच भी राखी का त्‍योहार मनाने की परंपरा का वर्णन मिलता है। एक बार देवराज इंद्र और दानवों के बीच में भीषण युद्ध हुआ था तो दानवों की हार होने लगी थी। तब देवराज की पत्‍नी शुचि ने गुरु बृहस्पति के कहने पर देवराज इंद्र की कलाई पर रक्षासूत्र बांधा था। तब जाकर समस्‍य देवताओं के प्राण बच पाए थे।

रक्षाबंधन का संबंध माता लक्ष्‍मी और राजा बलि से
एक बार देवी लक्ष्मी ने लीला रची और गरीब महिला बनकर राजा बलि के सामने पहुंचीं और राजा बलि को राखी बांधी। बलि ने कहा कि मेरे पास तो आपको देने के लिए कुछ भी नहीं हैं, इस पर देवी लक्ष्मी अपने रूप में आ गईं और बोलीं कि आपके पास तो साक्षात भगवान हैं, मुझे वही चाहिए मैं उन्हें ही लेने आई हूं। इस पर बलि ने भगवान विष्णु को माता लक्ष्मी के साथ जाने दिया। जाते समय भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह हर साल चार महीने पाताल में ही निवास करेंगे। यह चार महीने चर्तुमास के रूप में जाने जाते हैं जो देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक होते हैं।

मृदुल स्नेह, अटूट विश्वास और समर्पण से परिपूर्ण भाई-बहन के अगाध स्नेह एवं अटूट विश्वास के प्रतीक, महापर्व रक्षाबंधन की आप सभी को हार्दिक बधाई व अनंत शुभकामनाएं!

रक्षाबंधन महोत्सव आप सभी के जीवन में सौभाग्य लाए, समाज में सद्भाव, सौहार्द व सहयोग की भावना और अधिक सशक्त हो, प्रभु श्री राम से यही प्रार्थना है।

"कच्चे धागों से बनी पक्की डोर है राखी,
प्यार और मीठी शरारतों की होड़ है राखी!"
"भाई की लंबी उम्र की दुआ है राखी,
बहन के स्नेह का पवित्र प्रतीक है राखी !!"

भाई/बहन होने का मतलब अटूट प्रेम और आपके पास हमेशा एक साथी होता है, जो हमेशा सुख दुख मे साथ होगा।
आइए आज इस पवित्र दिन पर पर्ण ले की समय आने पर बहन-बेटीयों की रक्षार्थ खड़े रहेंगे।

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