बंदर भी अपने साथियों को 'नाम' से पुकारते हैं: वैज्ञानिकों की चौंकाने वाली खोज
बंदर भी अपने साथियों को 'नाम' से पुकारते हैं: वैज्ञानिकों की चौंकाने वाली खोजन्यूज़
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
नई दिल्ली।इंसानों के अलावा जानवरों में देखा गया है कि वे अपने साथियों को खास आवाजों या संकेतों से पुकारते हैं। अब तक डॉल्फिन्स और हाथियों में यह क्षमता देखी गई थी, लेकिन हाल ही में किए गए एक शोध से यह साबित हुआ है कि बंदर भी अपने साथियों को 'नाम' लेकर पुकार सकते हैं।
मार्मोसेट बंदरों की अनोखी क्षमता
दक्षिण अमेरिका के जंगलों में पाई जाने वाली मार्मोसेट नामक बंदरों की एक प्रजाति में यह विशेषता देखी गई है। ये बंदर अपने साथियों को पहचानने के लिए अलग-अलग आवाजें निकालते हैं, जिन्हें वैज्ञानिक "नाम" का रूप मानते हैं। हालांकि, यह नाम इंसानों की तरह नहीं होते, बल्कि ध्वनियों के जरिए पहचाने जाते हैं। उदाहरण के लिए, एक साथी को पुकारने के लिए 'खीखी' की आवाज हो सकती है, जबकि दूसरे साथी के लिए 'खीखूखि' जैसी ध्वनि निकाली जाती है। यह उनके जटिल सामाजिक व्यवहार का एक हिस्सा है।
सामाजिक और बुद्धिमान प्राणी
मार्मोसेट बंदर बहुत ही सामाजिक और बुद्धिमान प्राणी होते हैं। इनका जीवन समूहों में होता है, और वे एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े होते हैं। रिसर्च से पता चला है कि ये बंदर न केवल अपने साथियों को पहचानते हैं बल्कि उनके साथ संवाद करने के लिए अलग-अलग ध्वनियों का भी इस्तेमाल करते हैं।
पहले डॉल्फिन और हाथियों में देखा गया था यह व्यवहार
इससे पहले, वैज्ञानिकों ने देखा था कि डॉल्फिन्स और हाथी अपने साथियों को खास आवाजों के जरिए बुलाते हैं। डॉल्फिन्स अपने साथी डॉल्फिन को खास ध्वनियों के माध्यम से पुकारती हैं, और इसी साल एक रिसर्च में बताया गया कि हाथी भी ऐसी ही क्षमता रखते हैं। हालांकि, इंसानों के 'करीबी' बंदरों में ऐसा व्यवहार अब तक नहीं देखा गया था, जिससे यह खोज और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
AI और नई तकनीक से खुलासा
इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और ध्वनि विश्लेषण तकनीकों का इस्तेमाल किया, जिससे यह साबित हो सका कि मार्मोसेट बंदर अपने साथियों को अलग-अलग आवाजों से बुलाते हैं। यह खोज न केवल बंदरों के सामाजिक जीवन को बेहतर समझने में मदद करेगी, बल्कि यह भी संकेत देती है कि जानवरों में भी नाम और पहचान की समझ हो सकती है।
निष्कर्ष
इस शोध से यह साबित होता है कि केवल इंसान ही नहीं, बल्कि जानवर भी अपने साथियों को 'नाम' से पुकारने और पहचानने की क्षमता रखते हैं। यह खोज न केवल बंदरों की सामाजिक बुद्धिमत्ता को दर्शाती है, बल्कि जानवरों की भाषा और संचार के नए पहलुओं को उजागर करती है।
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