भारतीय नौसेना में जल्द शामिल होगी दूसरी न्यूक्लियर पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट

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भारतीय नौसेना में जल्द शामिल होगी दूसरी न्यूक्लियर पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता 

नई दिल्ली:हिंद महासागर क्षेत्र में भारत सुरक्षा को लेकर गंभीर है। इसलिए जल्द ही आईएनएस अरिघाट भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने वाला है। परमाणु मिसाइलों से लैस पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट को विशाखापट्टनम के जहाज निर्माण केंद्र पर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल (एटीवी) प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है।

भारतीय नौसेना की दूसरी परमाणु ऊर्जा वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट तीन साल के समुद्री परीक्षणों के बाद अब इस वर्ष के अंत तक समंदर में गोते लगाने के लिए तैयार है। यह अरिहंत श्रेणी की भारत में निर्मित की गई दूसरी पनडुब्बी है। व्यापक परीक्षणों के बाद औपचारिक कमीशनिंग के लिए पूरी तरह से तैयार पनडुब्बी में विस्तारित अवधि में उन्नयन के साथ कुछ तकनीकी मुद्दों को सुलझाया गया था।

आईएनएस अरिघाट की खासियतें

- 6,000 टन डिस्प्लेसमेंट वाली यह पनडुब्बी 111.6 मीटर लंबी है, बीम 11 मीटर और ड्राफ्ट 9.5 मीटर का है।
- यह पानी के अंदर 980 से 1400 फीट की गहराई तक जा सकती है और इसकी रेंज असीमित है।
- इसमें 12 के-15 एसएलबीएम (750 किमी रेंज) और 4 के-4 मिसाइलें (3500 किमी रेंज) तैनात हैं।
- इसके अलावा 21 इंच व्यास की छह टॉरपीडो और कई टॉरपीडो ट्यूब्स भी हैं।
- ब्लेड प्रोपेलर जल रिएक्टर से संचालित यह पनडुब्बी पानी की सतह पर 12-15 समुद्री मील (22-28 किमी/घंटा) और समुद्र की गहराई में 24 समुद्री मील (44 किमी/घंटा) की गति प्राप्त कर सकती है।

आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघाट में अंतर

भारत की पहली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत को 9 साल के व्यापक परीक्षण के बाद अगस्त, 2016 में समुद्र में उतारा गया था। दो साल के परीक्षण के बाद 2018 में यह पूरी तरह से चालू हो गई थी। आईएनएस अरिघाट की लांचिंग लगभग पांच साल के लम्बे इन्तजार के बाद 2017 में हो पाई। आईएनएस अरिहंत के मुकाबले आईएनएस अरिघाट में मिसाइलों की संख्या दोगुनी होगी, जिससे भारत को 'पानी के युद्ध' में और अधिक मिसाइलें ले जाने की क्षमता मिल जाएगी।

आईएनएस अरिघाट का महत्व

आईएनएस अरिघाट के नौसेना में शामिल होने से भारत हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की ओर से बढ़ रही चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होगा। यह पनडुब्बी पारंपरिक हथियारों के साथ दो परमाणु ऊर्जा चालित हमलावर पनडुब्बियों के निर्माण की परियोजना को और मजबूत करेगी।

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