नशे के आदी व्यक्ति को अपराधी न समझें, बल्कि पीड़ित समझें, रांची के कार्यक्रम में बोलीं शिवानी सिंह

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न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

रांची : माननीय झालसा के निर्देश पर माननीय न्यायायुक्त-सह-अध्यक्ष के मार्गदर्शन में आज दिनांक 04.10.2024 को लाला लाजपत राय स्कूल में छात्रों के लिए नशा मुक्ति पर एक जागरूकता शिविर का आयोजन किया। लाइफ सेवर्स के श्री अतुल गेरा, एलएडीसी के शिवानी सिंह, एनसीबी के एम मीना, सीआईडी के एस.आई. रिजवान अहमद, ड्रग कं्रटोल विभाग से राजकुमार झा ने नशे के दुरुपयोग और दुष्प्रभावों पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। 
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अतुल गेरा ने बताया कि कैसे साधारण खाँसी की सिरप जैसी चीज़ों का नशे के लिए उपयोग किया जाता है। झारखंड राज्य न केवल नशीली दवाओं का उपभोग करता है, बल्कि भारी कार्रवाई के बावजूद इनका उत्पादन भी करता है। नशा करने से व्यक्ति और परिवार, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कुछ लोगों के लिए नशे की यात्रा 16 वर्ष या इससे कम उम्र से ही शुरू हो जाती है। पुनर्वास केंद्रों की अधिक जनसंख्या उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। यदि राँची में नशे की समस्या पर नियंत्रण पाया जाए तो अपराध दर में लगभग 70 प्रतिशत की कमी आ सकती है। राँची में नशीली दवाओं से संबंधित किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना अधिकारियों को देने की सलाह दी जाती है।
एलएडीसी अधिवक्ता सुश्री शिवानी सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 47 राज्य को निर्देशित करता है कि वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मादक पेय और नशीली दवाओं के सेवन को औषधीय उद्देश्यों को छोड़कर, समाप्त करने का प्रयास करेगा। अफीम या पोस्ता के उत्पादन या कब्ज़े पर एनडीपीएस अधिनियम 1985 के तहत मात्रा के आधार पर 20 साल तक के कठोर कारावास की सजा हो सकती है। बार-बार अपराध करने पर मृत्युदंड तक दिया जा सकता है। काँके के पुनर्वास केंद्रों के साथ-साथ एनजीओ भी नशा करने वालों को ठीक करने में मदद करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि सीआईपी और रिनपास में जिला विधिक सेवा प्राधिकार का लिगल एड क्लिनिक है, वहां पर वैसे नशा करनेवाले व्यक्तियों को ईलाज किया जाता है। 

इसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकार, रांची सहायता प्रदान करती है। नशा से संबंधित पदार्थों के बारे में सुश्री सिंह ने विस्तार से बताया। उन्होंने सजा के प्रावधान के बारे में भी बताया और उन पदार्थों के बारे में बतलाया जिसका तस्करी करने से रखने से एक जगह से दूसरे जगह ले जाने पर एवं किसी व्यक्ति के पास पाये जाने पर वह एनडीपीएस कानून के तहत सजा के भागी होंगे। 
एनसीबी के एम. मीना ने कहा कि झारखंड में इस नशे की समस्या को रोकने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह क़ानूनों के कार्यान्वयन और हितधारकों के बीच समन्वय के लिए ज़िम्मेदार है। नशे की दवाओं का उत्पादन और वितरण इस समस्या की जड़ तक पहुँचता है। 

अधिकांश तस्करी के गिरोह संसाधनों की कमी के कारण पकड़े नहीं जाते। गृह मंत्रालय ने पिछले महीने मादक द्रव्यों के सेवन से संबंधित किसी भी संदेह की जानकारी देने के लिए आम जनता के लिए मानस हेल्पलाइन (टोल फ्री नं. 1933) स्थापित की है।
सीआईडी के रिजवान अंसारी और राजकुमार झा ने भी नशा से बचने एवं उसके रोकथा की बातें कहीं। उन्होंने कहा कि नशा से जीवन और स्वास्थ्य दोनों खराब हो जाता है, मानसिक एवं आर्थिक हानी भी होती है। नशे के आदि होने पर व्यक्ति अन्य अपराधों की ओर जाने लगते हैं।  
गौरतलब हो कि जागरूकता कार्यक्रम में सम्मिलित अन्य वक्ताओं ने भी नशा करने से होनेवाले दुरूपयोग के बारे में विस्तार से बतलाया।

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