तिरुपति लड्डू विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्र SIT के गठन का दिया आदेश
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रसाद के रूप में परोसे जाने वाले लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के लिए एक स्वतंत्र विशेष जांच टीम (SIT) के गठन का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह करोड़ों लोगों की आस्था का सवाल है और किसी भी प्रकार का राजनीतिक ड्रामा नहीं होना चाहिए।
विस्तार
बृहस्पतिवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि यदि आरोप में कोई सच्चाई है, तो यह अस्वीकार्य है। उन्होंने सुझाव दिया कि SIT की निगरानी एक वरिष्ठ केंद्रीय अधिकारी द्वारा की जाए, जिससे लोगों में विश्वास बढ़ेगा। उन्होंने कहा, "देश भर में भक्त हैं और खाद्य सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है।"
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एक स्वतंत्र SIT का गठन किया जाए, जिसमें सीबीआई और राज्य सरकार से दो-दो सदस्य शामिल हों। इसके अलावा, FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) से भी एक सदस्य को शामिल किया जाएगा, क्योंकि खाद्य पदार्थों की जांच में FSSAI सबसे विशेषज्ञ निकाय है।
सुनवाई का क्रम
इस मामले की सुनवाई पहले 30 सितंबर को हुई थी, जहां कोर्ट ने मेहता से पूछा था कि क्या राज्य द्वारा नियुक्त SIT की जांच जारी रखी जानी चाहिए या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जानी चाहिए। इस दौरान, उच्चतम न्यायालय ने यह भी पूछा कि यह दिखाने के लिए क्या सबूत हैं कि लड्डू बनाने में मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार से कई सवाल किए, जिसमें पूछा गया कि क्या प्रसाद के लड्डू बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था। टीडीपी (तेलुगु देशम पार्टी) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि लोगों ने शिकायत की थी कि लड्डू का स्वाद ठीक नहीं था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों को इसकी जानकारी नहीं थी और केवल बयान देने से कुछ नहीं होगा।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह मामला केवल एक खाद्य सुरक्षा मुद्दा नहीं है, बल्कि यह करोड़ों भक्तों की आस्था से जुड़ा हुआ है। ऐसे में एक स्वतंत्र जांच आवश्यक है ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या मिलावट को स्पष्ट रूप से उजागर किया जा सके और भक्तों का विश्वास बहाल किया जा सके।
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