रांची के 'उत्सव हर पल' में बीके शिवानी ने दिया खुशहाल जीवन का मंत्र
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
रांची : हरिवंश टाना भगत इंडोर स्टेडियम, खेलगांव, रांची झारखंड में पहली बार जीवन प्रबंधन विशेषज्ञ, अन्तरराष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर बीके शिवानी जीवन प्रबंधन विशेषज्ञ, अन्तर्राष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर और ब्रह्माकुमारीज की टीवी ऑईकॉन ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन की उपस्थिति में "उत्सव हर पल"' कार्यक्रम का आयोजन प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवा केन्द्र चौधरी बागान हरमू रोड, रांची के तत्वावधान में किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ संकल्पों के दीप जलाये की मधुर ध्वनि के मध्य न्यायमूर्ति अनिल कुमार
चौधरी, गौतम कुमार चौधरी, जस्टिस आनन्द सेन, कर्नल राजीव कुमार, जीटो एकेता जैन, सरोज जैन, सीए संस्थान की अध्यक्षा श्रद्धा बागला, समाजसेवी सबिता साहू, बीके निर्मला बहन, बीके शीला सहित अनेक गणमान्य जनों ने दीप प्रज्वलित किया। पहली बार इतनी विशाल संख्या में कार्यक्रम में में मौजूद शहरवासियों ने मेडिटेशन के माध्यम से गहन शांति की अनुभूति की।
शिवानी बहन ने अपने वक्तव्य में कहा कि संस्कार से संसार बनता है। बचपन में सुना था कि दीया
जलता रहे तो जीवन शुभ होगा, दीया बूझ गया तो जीवन अशुभ होगा। तो हम दीए का कितना
ध्यान रखते हैं कि वह बुझ न जाए। दीया मतबल दिया लेकिन जब हम देना छोड़कर केवल
चाहिए चाहिए मुझे शांति चाहिए मुझे प्यार चाहिए। हम केवल मांगे जा रहे हैं। परंतु हम मांग
किससे रहे हैं जो खुद खाली है। हम उनसे मांगें जो देने वाला है। जब हम दीया थे तो भारत
स्वर्णिम था आज हम मांगने वाले बन गये हैं। एक शोर मचाये तो दूसरे को क्या बन जाना
चाहिए। दीया अर्थात दीपक बन जाना चाहिए। देने वाला। परंतु आज हमारी आत्मिक स्थिति
कमजोर होने के कारण एक दूसरे से केवल मांग रहे हैं। दूसरा भी देने के बजाय शोर मचाने लग
जाते हैं। वर्तमान स्थितियों में मन को शक्तिशाली बनाने के लिये प्रतिदिन शुभ संकल्पों से स्वयं
को सुशोभित करने की जरूरत है, जो मन का भोजन है। मन को सुदढ़ बनाने के पहले आधार
को मजबूत करना आवश्यक है। इसके लिये हमें चौबीस घंटे में सुबह का एक घंटा और सोने से
पहले के एक घंटे का समय विशेष संवेदनशील समय देना होता है। इस वक्त श्रेष्ठ संकल्प जैसे परमात्मा मेरे साथ हैं। मैं परमात्मा की संतान हूँ। मेरा शरीर व मन स्वस्थ हैं जैसे संकल्प से अपने मन की शक्ति को चार्ज कर सकते हैं। ऐसे ही हम यदि छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखें तो स्वयं को और अपने रिश्तों का ध्यान रख पायेंगे। सबसे पहले हमें स्वयं को सकारात्मक ऊर्जाओं से भरपूर
कर स्वयं को मजबूत बनाना होगा, तब हम अपने बच्चों को अपनी शक्ति अर्थात शक्तिशाली औरा भेज कर उन्हें सशक्त बना सकते हैं।
आज दुनिया को अशांत, दुखी व परेशान हम अपने ही बायब्रेशन से कर रहे हैं क्योंकि हम सबसे
ही ये दुनिया है और हमारी ही किरणें चारों ओर हैं और हमें ही वापस मिल रही हैं। तो अपने मन
चित्त को हम साफ करते जाएं जिससे वातावरण इतना शक्तिशाली बन जायेगा, जो बीमार आएंगे वो भी ठीक हो जाएंगे । इसके लिये हमें सात गुण धारण करने होंगे- पवित्रता, शान्ति, शक्ति, प्रेम, खुशी, ज्ञान, आनंद। नहीं तो ऐसे कर्म समाज में होते रहेंगे।
अभी जो समय चल रहा है, वह है सतयुग लाने का। कलियुग कैसे आया या कलियुग कैसे बना। मेजॉरिटी का, जब सब का संस्कार बना तब वह कलयुग बना। गुस्सा किया होगा, रिश्वत ली होगी। सभी एक-एक ने रिश्वत लेना शुरू किया होगा। इस प्रकार कईयों की संख्या बढ़ती गयी तब फिर सारी सृष्टि ने कर दिया तो कलियुग बन गया। मैजोरिटी झूठ बोल रहे होंगे, एक सच बोलेगा। क्या मैं वह एक हूं। क्या मैं वहीं हूं, या नही हूं। क्या मैं वह एक बनना चाहता हूँ। मुझ एक को देख परमात्मा कहते हैं जैसा कर्म आप करेंगे, आपको देख और करेंगे। कर्म नहीं भी करते,
जब हम कृछ करते हैं हमारी वाइब्रेशन चारों तरफ फैल जाती है, वह वाइब्रेशन औरों को भी टच करती है। । वह भी वैसा करना शुरू कर देंगें । एक से दो, दो से पांच, पांच से दस लाख और फिर इसी प्रकार से सृष्टि पर सतयुग या कलियुग का निर्माण हो जाता है।
अपनी सुबह की शुरुआत साइलेंस से करें तो उसका नतीजा क्या निकलेगा? जैसे कोई काम करते हैं, जब कोई मीटिंग की शुरुआत करते हैं उसकी शुरुआत में हम काम की शुरुआत को एक मिनट शांति के साथ करें। एक मिनट साइलेंस होने से अपने मन के विचार परमात्मा के साथ जोड़ सकते हैं। इससे परमात्मा की सकारात्मक शक्ति अपने अंदर महसूस होती है। चाहे छोटा
काम हो या बड़ा काम लेकिन उस कार्य के सफल होने के लिए सफलता का संकल्प एक मिनट
शांति में बैठकर जरूर करें। जैसे कहते हैं ना शुरुआत सही हो तो काम अच्छा अपने आप हो
जाता है।
इस समय लोग अपना ध्यान नहीं रख रहे हैं जिससे लोगों की आत्मिक ऊर्जा घटती जा रही है।
घटी हुई आत्मिक शक्त कुछ भी गलत व्यवहार व्यक्त कर सकती है। कमजोर आत्मिक बल वाला
व्यक्ति कुछ भी कर सकता है क्योंकि जो उसकी आत्मारूपी बैटरी है उसकी शक्तित निरंतर घटती जा रही है। हम अक्सर अपने परिवार को लेकर कहते हैं जैसे मेरे पति ने मुझसे झगड़ा किया, मेरे बच्चे ने कहना नहीं माना, भाई ने मेरा हाल नहीं पूछा, मेरी बहन का व्यवहार अब बदल गया है, उसने कुछ ऐसा कहा ऐसा किया। दरअसल सकारात्मक तौर पर देखा जाय तो पति ने, बच्चे ने, भाई ने, बहन ने मेरे साथ गलत आचरण नहीं किया बल्कि उस निरंतर घटती हुई ऊर्जा ने मेरे
साथ गलत व्यवहार किया जिसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा। हम जितनें सकारात्मक
शक्तिशाली होंगे, उतना ही ज्यादा हम अच्छा महसूस करेंगे। मान लो किसी को देख कर हम
कहते हैं कि यह एक अच्छा व्यक्ति है तो अंतर में अच्छी महसूसता होनी शुरू हो जायेगी। हमारे मन में वह शक्तिशाली विचार बैठ गया तो हमने उसे और शक्तिशाली संकल्प देकर अपना काम किया। तो परिणाम क्या आएगा। काम तो हमारे ही पॉजिटेव संकल्प से होना है। जो कुछ अच्छी बातें सोचनी है तो सुबह-सुबह सोच लें। उस समय वायुमण्डल का तथा मन और बुद्धि का रास्ता बिल्कुल साफ है। जब हम अपने मन को "नहीं' निगेटिव शब्द का चिन्तन करा रहे हैं तो उससे सही नतीजा कैसे आएगा। तो पहले हमें इस शब्द को नई आदत में प्रयोग से हटाना है। तो हम इस पर विश्वास करेंगे कि सब अच्छा होगा मैंने लगन से उस काम को पूरा किया है ।
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन जी ने शिवानी दीदी का स्वागत किया। बाल कलाकारों ने
सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुत किया।
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