सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: निजी संपत्तियों के अधिग्रहण पर नई दिशा

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न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

नई दिल्ली।भारत के सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्तियों और सार्वजनिक भलाई के लिए उनके अधिग्रहण से संबंधित राज्य की शक्तियों पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। Chief Justice of India (CJI) की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने बहुमत से यह निर्णय दिया कि सभी निजी संपत्तियों को राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहित नहीं किया जा सकता है। केवल कुछ विशेष संपत्तियों को ही अधिग्रहित किया जा सकता है।

इस फैसले के साथ, 9 जजों की पीठ ने 1978 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले को पलट दिया है, जिसमें कहा गया था कि राज्य सभी निजी संपत्तियों को सार्वजनिक भलाई के लिए अधिग्रहित कर सकता है।

संविधान के अनुच्छेद 39(b) का संदर्भ

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 39(b) से संबंधित एक मामले में सुनाया गया है। यह अनुच्छेद राज्य की शक्तियों को परिभाषित करता है, जिसमें निजी संपत्तियों के अधिग्रहण और पुनर्वितरण का प्रावधान है। अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य केवल उन संपत्तियों का अधिग्रहण कर सकता है जो सामुदायिक संसाधनों के रूप में मानी जाती हैं, न कि सभी निजी संपत्तियों का।

फैसले का महत्व

यह फैसला न केवल व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि राज्य की शक्तियाँ सीमित रहें और नागरिकों की संपत्ति पर अनावश्यक हस्तक्षेप न हो। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि सार्वजनिक भलाई के नाम पर किसी भी प्रकार का अधिग्रहण अब बिना उचित कारण और कानूनी प्रक्रिया के नहीं किया जा सकता।

इस निर्णय ने नागरिकों के अधिकारों को मजबूत किया है और राज्य की शक्तियों की सीमाओं को स्पष्ट किया है, जिससे भविष्य में संपत्ति अधिग्रहण से संबंधित विवादों में स्पष्टता आएगी।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल कानून के शासन को बढ़ावा देता है, बल्कि नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक भी करता है।

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