सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: अनुच्छेद 31(सी) की वैधता पर स्पष्टता

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न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में अनुच्छेद 31(सी) की वैधता को बनाए रखा है, जो भारतीय संविधान के तहत संपत्ति के अधिकारों से संबंधित है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए कहा कि केशवानंद भारती मामले में जिस हद तक अनुच्छेद 31(सी) को बरकरार रखा गया है, वह आगे भी लागू रहेगा।

42वें संशोधन का संदर्भ

सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि 42वें संशोधन की धारा 4 का उद्देश्य अनुच्छेद 39(बी) को निरस्त करना और प्रतिस्थापित करना था। उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि असंशोधित अनुच्छेद 31(सी) लागू रहेगा और यह स्पष्ट किया कि केवल उत्पादन के साधन ही नहीं, बल्कि सामग्री भी अनुच्छेद 39(बी) के दायरे में आती है।

निजी संपत्तियों का सामुदायिक संपत्ति के रूप में वर्गीकरण

सीजेआई ने कहा, “हमारा मानना ​​है कि किसी व्यक्ति के मालिकाना हक वाले प्रत्येक संसाधन को केवल इसलिए समुदाय का भौतिक संसाधन नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भौतिक आवश्यकताओं की योग्यता को पूरा करता है।” उन्होंने न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर के 1978 के फैसले का उल्लेख किया, जिसमें निजी व्यक्तियों की सभी संपत्तियों को सामुदायिक संपत्ति कहा गया था। सीजेआई ने इसे उन्नत समाजवादी आर्थिक विचारधारा में अस्थिर बताया।

निष्कर्ष

यह निर्णय न केवल संविधान के अनुच्छेदों की व्याख्या में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह संपत्ति के अधिकारों और सामुदायिक संसाधनों के बीच संतुलन स्थापित करने में भी सहायक होगा। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भविष्य में संपत्ति से संबंधित विवादों और कानूनों की व्याख्या में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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